काठमाण्डू, ६ अखारः जनता समाजवादी पार्टी (जसपा) नेपालके अध्यक्ष उपेन्द्र यादव एहि बेर बारा निर्वाचन क्षेत्र नं २सँ प्रतिनिधिसभामे प्रतिनिधित्व कएने अइछ । अइसँ पहिने ओ २०६४ सालके संविधानसभा निर्वाचनमे मोरङ निर्वाचन क्षेत्र ५ आ सुनसरी ५ सँ, २०७० सालमे सुनसरी क्षेत्र नं ५ तथा २०७४ सालमे सप्तरी क्षेत्र नं २ सँ प्रतिनिधिसभा सदस्यमे निर्वाचित भेल छल ।
वि.सं. २०१६ मे सप्तरीके भगवतपुरमे जन्मलेनिहार अध्यक्ष यादव २०३२ सालमे कम्युनिष्ट पार्टीसँ राजनीतिक यात्रा सुरू कएने अइछ। वि.सं. २०४८ मे नेकपा (एमाले) मे आबद्ध भेल ओ २०६३ सालसँ मधेशी जनअधिकार फोरम गठन क मधेश आन्दोलन सुरू कएलैन ।
अध्यक्ष यादव देशक उपप्रधानमन्त्री तथा परराष्ट्रमन्त्री, स्वास्थ्य तथा जनसङ्ख्यामन्त्री, भौतिक पूर्वाधार तथा यातायातमन्त्री आ कानून, न्याय तथा संसदीय मामिलामन्त्री भ जिमेवारी सम्हाइर चुकल अइछ। अध्यक्ष यादवसङे राससक समाचारदाता सुशील दर्नाल हुनकासँ दैनिक गतिविधि, संसदीय अभ्यास, संविधान कार्यान्वयन आ संशोधन, मधेशी समुदायक मांग आ मुद्दा, सङ्घीयता सुदृढीकरण, राजनीतिक व्यवस्था आ जनताके अवस्था, युवाके विदेश पलायन आ बेरोजगारी समस्या, राजनीतिक दलके गतिविधि, देशक आर्थिक विकास, जनतासङे कएने प्रतिबद्धता आ देशक समसामयिक विषयमे लेल गेल अन्तर्वार्ताके सम्पादित अंश :
आइ काइल कथिमे व्यस्त छियै ?
एखन संसद्के बजेट अधिवेशन चइल रहल अइछ । बजेटपर सांसद अपन विचार देबाक काज भ रहल अइछ । अइसँ पहिने सरकारक नीति तथा कार्यक्रम आ सिद्धान्त तथा प्राथमिकताबारे संसद्मे बातचित भेल। सदनमे कानुन निर्माणके पाटोमे सेहो सहभागी भ रहल छी । हम अध्यक्ष भेलासँ पार्टीके दैनिक गतिविधिमे सेहो व्यस्त छी ।
संसदीय अभ्यासकेँ कोना देख रहल छी ?
नम्हर राजनीतिक दलसभमे लोकतान्त्रिक संस्कृतिके एखनो विकास नै भ सकल छै । ताहिसँ संसदीय अभ्यास स्वस्थ ढङ्ग सञ्चालन नै भेल छै । दलसभ आग्रह–पूर्वाग्रह ग्रसित छै । कार्यकारीणिके झगडा संसद भोइग रहल अइछ । ताहि कारण संसद्के जतेक प्रभावकारिता होबाक चाही, से भेल हमरा नै लागैत अइछ । सबटा जनताके धीयान एखन संसददिस छै । संसद्प्रति जनता जे आशा कएने छल, से आशा पूरा करएमे संसद भूमिका निर्वाह नै करए सकल छै। संसद् चइल रहलोपर प्रभावकारी ढङ्ग संसदीय कारबाही आगू नै भ सकल अइछ ।
संविधान कार्यान्वयनकेँ अहाँ कोना देखैत छी?
सब जनता संविधानके स्वामित्व ग्रहण करएमे सक्षम नै भ सकलैथ । संविधान जारी करबाक समय संविधानसभामे व्यापक बातचित आ संशोधन प्रस्ताव सभपर बहस क संविधान जारी कएल जेतियै, तँ ओ सबहके स्वामित्व होइत । संविधानमे किछु महत्वपूर्ण विषय अइछ, किछु विभेदकारी बात सेहो छै आ किछु दोधारे विषयसभ अइछ । संविधानमे जे महत्वपूर्ण बातसभ अइछ, से सेहो कार्यान्वयन नै भ सकल छै । जाहिमे प्रमुख रूपेण संघीयता अइछ, जे पूर्ण रूपसँ कार्यान्वयन नै भ सकल अइछ । प्रदेशक संरचना तँ खड़ा कएल गेलै, मुदा केन्द्रीकृत आ एकात्मक मानसिकतासँ मुक्ति नै भेटलाक कारणेँ ओ पूर्ण कार्यान्वयनमे असफल रहल अइछ । प्रदेश आ स्थानीय तहके करबाक कार्य आ अधिकार सेहो केन्द्रमे राखल गेल अइछ ।
जब स्रोत आ शक्ति केन्द्रमे होएत तँ संघीयता कोना कार्यान्वयन होएत? संघीयता लागू करबाक लेल नै तँ समुचित कानून छै, नै कर्मचारीतन्त्र । स्रोत-साधन सेहो उपलब्ध नै छै । एहन परिस्थितिमे प्रदेश सरकार कोना काज करत? संविधानमे उल्लेखित विशेष क्षेत्र आ सुरक्षित क्षेत्रके सेहो कार्यान्वयन नै भेल अइछ ।
संविधान संशोधनकेँ विषयकेँ अहाँ कोना देखैत छी?
संविधान संशोधन करबाक लेल सरकार इच्छुक नै देखाइत अइछ । संविधान जारी भेल समयसँ संगे-संग संशोधनक बात भ रहल छलै, मुदा से केवल गप्पेमे सीमित अइछ । कोन विषयपर संशोधन होएत, तकर निर्णय नै भेल अइछ । कोन लक्ष्य प्राप्त करबाक लेल संशोधन होएत, से सेहो स्पष्ट नै अइछ । एहन अवस्थामे संविधान संशोधन फन्डा जका भ गेल अइछ ।
संविधानकेँ गतिशील बनेबाक लेल संशोधन जरूरी अइछ । ताहि लेल पहिने विशेषज्ञसभक एकटा समूह बनाउ, आ ओहिक आधारपर सुझाव लिअ, तत्पश्चात संविधानमे संशोधन कएल जाए ।
कोन-कोन विषयमे संशोधन होबाक चाही?
पहिने निर्वाचन प्रणालीमे संशोधन जरूरी अइछ । नेपाल जकाँ अल्पविकसित देशमे एतेक महँग चुनाव प्रणाली उपयुक्त नै अइछ । एहि चुनाव प्रणालीसँ देश बर्बाद भ रहल अइछ ।
दोसर, शासन पद्धति सेहो बदलबाक आवश्यकता अइछ । वर्तमान शासन व्यवस्था व्यवहारमे सफल भ नै सकल अइछ । आब कार्यपालिका प्रत्यक्ष निर्वाचित राष्ट्रपति होबाक चाही । राष्ट्रपति विशेषज्ञसभकेँ राखिकय सरकार बनाबथि । संसदक काज केवल कानून बनेनाए, अनुगमन करनाए होए । सरकार आ संसद अलग-अलग होबाक चाही ।
ओइ सङे न्यायपालिकाक पुनर्विचार सेहो जरूरी अइछ । बहुत ढिलासुस्ती अइछ, जनशक्तिक अभाव अइछ । संघीय ढाँचामे न्यायपालिका एकात्मक ढाँचामे प्रभावकारी नै भ सकैत अइछ । जनताकेँ सस्ता, सहज आ सुलभ न्याय सेवा भेटबाक चाही । न्याय बजारसँ किनल वस्तु जकाँ नै होबाक चाही । स्थानीय तहकेँ प्रदेशक अधीनतामे राइख क प्रदेशकेँ अधिकार सम्पन्न बनेबाक लेल सेहो संविधान संशोधन होबाक चाही ।
मधेशी समुदायक मुख्य मांग की अइछ?
मधेशी समुदायक मुख्य मांग ई अइछ जे कार्यपालिका, न्यायपालिका आ व्यवस्थापिकामे जनसङ्ख्याके आधारपर समान सहभागिता होए । संवैधानिक आयोगसभ सहित राज्यक समस्त संरचनामे मधेशी समुदायक समान सहभागिता होबाक चाही । लोकतन्त्रमे जनसंख्याक अनुपातमे प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होएबाक चाही । मुदा, अहाँ देखिते छी जे समावेशिताक भावना धीरे-धीरे हरा रहल अइछ ।
संघीयताकेँ आओरो सुदृढ बनेबाक लेल की कएल जाए?
संघीयताक मूल सिद्धान्त ई होइछै—प्रदेशमे स्वशासन आ केन्द्रमे साझा शासन।
एहि नीति अनुसार आगू बढबाक चाही । वर्तमान सात प्रदेशकेँ पुनःसंरचना करबाक चाही । राज्य पुनःसंरचना आयोग जे “सामर्थ्य आ पहिचान”क आधारपर दस प्रदेशक सिफारिश कएने छल, तकरा फेरसँ विचार करबाक चाही ।
प्रदेशकेँ अधिकार सम्पन्न बनेबाक लेल तकरा स्रोत आ जनशक्ति देबाक चाही ।
जनताक अवस्था सुधारबाक लेल की कएल जाए?
नम्हर दलसभ अपन लोककेँ राज्यक सब संरचनामे राइख क जनताके अवस्था सुधार नै क सकैत अइछ । अगर अदालत, अख्तियार आ अन्य संवैधानिक निकायमे योग्य लोक राखल जाए, त स्थिति अपने बदलत । से कारण राजनीतिक नेतृत्वक मानसिकता बदलब जरूरी अइछ ।
नेतृत्वक मानसिकता बदलेनाए बिना विकास असम्भव अइछ । रोजगार कोना भेटत? रोजगार नै भेटल तँ जनताक जीवनस्तर कोना सुधरत?
युवा पलायन रोकबाक उपाय की अइछ?
जब गरीबी आ बेरोजगारी होइछै तँ देशमे रहनाए कठिन भ जाइत छै । एहन हालतमे विदेश पलायन नै करए तँ की करए? देशमे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगारी आ सुरक्षा नै होए तँ पलायन स्वाभाविक अइछ ।
युवा पलायन रोकबाक लेल देशक उद्योग-धन्दाकेँ चलाउ, कृषिकेँ विकास करू । विकास आ सुशासन भेटलापर पलायन अपने रुइक जाएत ।
देशकेँ आत्मनिर्भर बनेबाक लेल की करबाक चाही?
विकासक मुख्य आधार शिक्षा छी । शिक्षा प्रणालीमे ऊपरसँ नीचाँधैर आमूल परिवर्तन करबाक चाही । युगानुकूल आ जीवन उपयोगी शिक्षा देबाक चाही ।
हमर देश कृषि आधारित अइछ । कृषिकेँ आधुनिकीकरण आ व्यवसायीकरण करबाक चाही । बन्द भ गेल उद्योग-धन्दाकेँ फेरसँ संचालन करबाक चाही । पर्यटन क्षेत्र, विद्युत क्षेत्रकेँ सेहो विकास करबाक चाही ।
एतबे कएल गेलासँ नेपाल विश्वक सबसँ सुखी आ सम्पन्न देश बइन सकैत अइछ ।
जनतासँ कएल गेल प्रतिबद्धता कतेक पूरा कएलाैँ?
जकरा सत्ता संचालनके जिमा भेटैत छै, से बजेट विनियोजन कइर क विकासक काज आगू बढबैत अइछ । अगर सरकार बजेट नै दैत छै तँ विकास कोना होएत?
हम अपन निर्वाचन क्षेत्र बाराक विकास लेल जे-जे प्रतिबद्धता देलाैँ, ताहि लेल सरकारकेँ लिखित रूपमे द चुकल छी ।
जनताकेँ अहाँके सन्देश कि अइछ ?
जनता अन्याय आ बेतिथिके खिलाफमे उठए पड़त । भ्रष्टाचार आ कमिसनतन्त्रकेँ अन्त क सुशासन आ समृद्धिके दिशामे देशकेँ आगू बढ़ाबैमे सबके ओतबेक दायित्व होइछै । देशमे भ्रष्टाचार अति भ गेल । एहि विषयमे जनताकेँ सङ्गठित होबए पड़त ।रासस
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