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  • मिथिलामे आइ गुरु पूर्णिमा

    मिथिलामे आइ गुरु पूर्णिमा

    राष्ट्रिय समाचार समिति (रासस)
    महोत्तरी, २६ अखारः धार्मिक एवम् पारम्परिक रूपसँ प्राचीन रहल मिथिला क्षेत्रमे आइ गुरु पूर्णिमा पावैन मनाएल जा रहल तैयारी अइछ । चन्द्र महिनाके अखार पूर्णिमाक दिन मनाएल जाएबला ई पावैनमे गुरुप्रति भक्तिभाव आ कृतज्ञता व्यक्त कएल जाइत अइछ । हिन्दू परम्पराक अनुयायी मिथिलाबासी आइ गुरु पूर्णिमा पावैन मनाबैत छैथ ।

    इएह दिनसँ शिक्षा देबाक, गायत्री तथा वेद सुनेबाक आ विशेष दीक्षा देनिहार गुरुजनप्रति सम्मान भाव प्रकट करैत गुरु पूर्णिमा पावैन मनेबाक हिन्दू परम्परा अइछ । मिथिला अर्थात् विदेहमे महाज्ञानी अष्टावक्र, याज्ञवल्क्य, राजर्षि जनक तथा गार्गी एवम् मैत्रेयीजकाँ विद्वान/विदुषीके साधना, तप आ ज्ञान आर्जन आ प्रचारक भूमि रुपमे परिचित अइछ ।

    ई पावैन परम्पराक निरन्तरता मात्रे नै पारिवारिक आ सामाजिक अनुशासनके स्मरण करेबाक अवसर सेहो रहल मिथिलामे लोकपरम्परा आ संस्कृतिक जानकारसभ कहैत छैथ । प्राचीन गुरुकुल परम्पराके शिक्षा परिवार, समाज, राष्ट्र आ चराचरजगत्प्रतिके दायित्व आ कर्तव्यबारे ज्ञान द परिपक्व नागरिक बनेबाक सन्दर्भ प्राचीन साहित्य आ इतिहासमे वर्णन रहल मटिहानीस्थित लक्ष्मीनारायण मठके उत्तराधिकारी महन्थ डा रवीन्द्र दास वैष्णव बताैलैन ।

    अइ दिन गुरुप्रति कृतज्ञता व्यक्त करैत नयाँ वस्त्र आभूषण आ मिष्टान्न भोजन करेबाक परम्परा मिथिलामे अइछ । पर्वविशेष मिथिला क्षेत्रमे एक दिन पहिनेसँ दौड़धुप बढ़ल अइछ । नयाँ वस्त्र, मिष्टान्न परिकार आ फलफुल सनेशके रूपमे गुरुकेँ अर्पण करबाक चलन अइछ ।

    पर्वके अवसरमे मिथिला क्षेत्रक मठमन्दिरमे विशेष समारोहमे प्रवचन आ गुरु पूजासहित आयोजन कएल जाइत अइछ। महोत्तरीके मटिहानीस्थित पुरान संस्कृत पाठशाला, भगवान् लक्ष्मीनारायण मन्दिर, महामुनि याज्ञवल्क्यके नाममे सञ्चालित याज्ञवल्क्य लक्ष्मीनारायण विद्यापीठ (संस्कृत क्याम्पस) आ देशके मठसभमे महत्त्वपूर्ण श्री लक्ष्मीनारायण मठमे छात्र-छात्रा, शिष्य आ साधुसन्त गुरुपूजन कार्यक्रमके तैयारी कएल जा रहल अइछ ।

    ज्ञानरुपी प्रकाश अज्ञानरुपी अन्धकारके नाश कएनिहार व्यक्तिकेँ गुरु कहल जेबाक पूर्वीय परम्परामे एहि पावैनके बहुत महत्त्व रहल महोत्तरीके मटिहानीस्थित राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालयक प्रधानाचार्य (प्रधानाध्यापक) ईश्वरी पौडेल बताैलैन ।

    अइ पावैनमे श्रेष्ठजनके सम्मान करब, शिष्टता आ नैतिक आचरण एवम् कृतज्ञता भाव भेलासँ गुरूपूर्णिमा सामाजिक, सांस्कृतिक आ पारम्परिक दायित्व आओर मुखरित करबाक जलेश्वर–४ सुगाभवानीपट्टिक बासी पूर्वप्रशासक कृष्णचन्द्र झाके कहब अइछ ।

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  • २०८२ असार २६, बिहीबार १४:३५
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